एक ज्ञान देने वाले विद्यालय है एकल विद्यालय।
— एकल विद्यालय 90 के आचार्य का 24 घंटे का प्रशिक्षण शिविर शुरू।
निरसा (मनोज कुमार सिंह)।
एकल विद्यालय हुआ है जिसमें एक शिक्षक एक विद्यालय की अवधारणा पर कार्य होता है। 1989 से भारत के उपेक्षित और आदिवासी बहुल सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में एकल विद्यालय फाउंडेशन द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। भारत के वनवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों मे हजारों एकल विद्यालय चल रहे हैं। ग्रामीण भारत के उत्थान में शिक्षा के महत्व को समझने वाले हजारों संगठन इसमें सहयोग दे रहे हैं। भारत के वर्तमान में 65 हजार गांवों के 26 लाख वनवासी बच्चों को एकल विद्यालय फाउंडेशन मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रहा है।
उक्त बातें एकल विद्यालय के गोविंदपुर अंचल अध्यक्ष कृष्ण लाल रूंगटा ने प्रशिक्षण शिविर में आए आचार्य को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि एकल विद्यालय में बुनियादी शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि समाज के उपेक्षित वर्गो को स्वास्थ्य, विकास और स्वरोजगार संबंधी शिक्षा भी दी जाती है।
उन्होंने कहा कि एकल विद्यालय का वैशिष्ट्य यह है कि विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के लिये संबधित ग्राम के ही एक शिक्षित युवक युवती को आचार्य के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। इस प्रशिक्षण में संभावित आचार्य को न केवल शिक्षण कला का ही ज्ञान कराया जाता है, वल्कि प्राथमिक चिकित्सा, बच्चों को संस्कार-संपन्न बनाना, खेल-कूद कराना आदि के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जाता है। इन विद्यालयों में गांव के लगभग 30-40 बच्चे हंसी-खुशी और खेल-कूद के वातावरण में अनौपचारिक रीति से शिक्षा प्राप्त करते हैं।
प्रशिक्षण आर्थियों को संबोधित करते हुए निरसा संच समिति के अध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रम में बच्चों को बुनियादी शिक्षा और जीने के तौर-तरीकों के बारे में भी बताया जाता है, ताकि उनमें आत्मविश्वास की भावना पैदा हो और ग्रामीण जीवनस्तर से ऊपर उठकर वे उच्च शिक्षा हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा सकें।
प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत भारत माता एवं सरस्वती माता की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुआ।
प्रशिक्षण शिविर को अमरेंद्र मिश्र, मोहन अग्रवाल, धनंजय दास, कृष्ण मोहली, आशिक मुर्मू इत्यादि में भी संबोधित किया।