सर सैय्यद अहमद खान ने आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में देश में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसे भुलाया नहीं जा सकता
सुजेक सिन्हा
चतरा : शहर के वादी ए ईरफाँ स्थित ए एमo सिद्दिक पब्लिक स्कूल में सर सैय्यद अहमद खां और शैक्षणिक क्रांति पर एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत ए कुरान पाक से किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रोo उमर फारूक ने सर सैयद अहमद खां की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली में हुई थी। 22 वर्ष की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया। 1841 में उत्तर प्रदेश के मैनपुर में वो जज बने और 1872 में नौकरी छोड़ राष्ट्र को आधुनिक से जोड़ने के लिए तालीम मिशन में लग गए। श्री खान कहा करते थें कि जब तक हमारे राष्ट्र के बच्चों को आधुनिक शिक्षा नहीं दी जाएगी तब तक देश तरक्की नहीं कर सकता। वहीं विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहम्मद मुजम्मिल ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र प्रेम और शिक्षा के क्षेत्र जो कुर्बानी उनके द्वारा दिया गया वह इतिहास के पन्नो में देखा जा सकता है। सर सैयद कहते थें मेरी किस्मत में भीख मांगना लिखा था मगर शुक्र है अपने लिए नहीं बल्कि सैयद कॉलेज के लिये, वह कहते थें, जब मुझे कोई निमंत्रण करके खाने पर बुलाता था तो मैं उनकी निमंत्रण कबूल करके कहता था जो मेरे खाने में खर्च करोगे वह पैसा कॉलेज फंड में दे दो। इस दौरान स्कूल के बच्चों ने नात तराना, भाषण, राइम्स, कलमा, नज्म सहित वाद विवाद प्रतियोगिता में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम को कक्षा नवमी की छात्रा मनतशा जन्नत ने बहुत ही बेहतर ढंग से संचालित किया। वहीं आज के इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के शिक्षक/शिक्षिका मोo आरीफ, मोo एजाज, मोo सूफियान, मोo काशिफ, निर्मल कुमार, हाफिज अब्दुल राशिद, हाफ़िज़ अली, हाफिज फैजान, मोo खालीद, सीमा, शाहीन, मुदस्सिरा, आरज़ू, मुस्कान, साइमा, शम्मा, नगमा, सिद्दीका इत्यादि ने अहम रोल अदा किया।