लगातार 20 वर्षों से एसएमसी अध्यक्ष बने रहने पर ग्रामीणों ने जताया ऐतराज
इचाक संवाददाता
इचाक: सदर प्रखंड के मोरांगी उत्क्रमित प्लस टू हाई स्कूल में अखिलेश नारायण दास को 20 साल से लगातार एसएमसी अध्यक्ष बने रहने पर ग्रामीणों और अभिभावकों ने विरोध किया है। ग्रामीणों ने इस बाबत जिले के डीईओ डीईओ प्रवीण रंजन को ज्ञापन सौंपा है। जिसमे पुरानी सीएमसी को भंग कर पर्यवेक्षक के उपस्थिति में सीएमसी का चुनाव कराने की मांग किया है। ज्ञापन में कहा है कि 18 जुलाई 24 को एसएमसी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है।विभागीय पत्र के अनुसार 19 जुलाई को सीएमसी का चुनाव कराकर नई कमिटी का गठन करना था।किंतु सीएमसी अध्यक्ष अखिलेश नारायण दास और सीआरपी अजय नारायण दास जो मोरंगी सीआरसी के सीआरपी है।दोनो के साठ गांठ से विभागीय पत्र को सार्वजनिक न कर गुप चुप तरीके से अखिलेश नारायण दास को पुनः अध्यक्ष बना देने का साजिश रचा जा रहा है जिस कारण विभागीय नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। अध्यक्ष और सीआरपी के मनमानी का यह सिलसिला पिछले 20 साल से जारी है जिसके कारण स्कूल का विकास नहीं हो पा रहा है।साथ ही बच्चो और स्कूल के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगा है। ग्रामीणों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि अध्यक्ष और सदस्य वही व्यक्ति बन सकता है जिसके बच्चे स्कूल में नामकित हो,एक व्यक्ति दोबारा सदस्य और अध्यक्ष नही बन सकता बावजूद इसके अजय नारायण दास लगातार 20 साल से अध्यक्ष बने हुए हैं जो नियमों का खुलम खुला उलंघन है।नियम यह भी है कि तीन साल का टर्म पूरा होने से एक माह पहले नई कमिटी का चुनाव किया जाना है। लेकिन मोरंगी स्कूल मैं विभाग के किसी भी नियम का पालन नहीं होता। अखिलेश नारायण दास अपने सीआरपी भाई का धौंस दिखाकर 20 साल से अध्यक्ष बने हुए हैं।जबकि उनका भाई अजय नारायण दास दस साल से मोरांगी सीआरसी में सीआरपी पद पर जमे है। लोगों ने बताया कि अखिलेश नारायण दास एलआईसी के अभिकर्ता भी हैं जो शिक्षकों बीमा के लिए मजबूर कर देते हैं जबकि अजय नारायण दास सीआरपी की पत्नी मोरंगी प्लस टू स्कूल में ही सहायक शिक्षिका के पद पर कार्यरत है।बताया कि उपयोगी भवन को कंडम बता विभाग से नया भवन स्वीकृत कारा कर मोटी कमाई करते आ रहे हैं। ग्रामीणों ने आवेदन में कहा है कि एक व्यक्ति एक ही के लिए अध्यक्ष बन सकता है दूसरे टर्म में अध्यक्ष को बदलना जरूरी है। लेकिन अखिलेश नारायण दास और कुछ सदस्यों के साथ यह शर्त बिल्कुल नहीं लागू होता। बावजूद इसके पिछले चार टर्म से एक ही व्यक्ति अध्यक्ष के पद पर बने हुए हैं।