Friday, December 6, 2024
HomeUncategorizedMuzaffarpur Nagar Nigam की स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैकिंग लाने की राह...

Muzaffarpur Nagar Nigam की स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैकिंग लाने की राह कठिन

Muzaffarpur Nagar Nigam की स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैकिंग लाने की राह कठिन

Muzaffarpur: शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण की शुरुआत हो चुकी है. इस बार शहर की स्वच्छता रैंकिग में सुधार में कई बाधा आने वाली है. नगर निगम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. स्वच्छता सर्वेक्षण में मुजफ्फरपुर नगर निगम को बेहतर रैकिंग लाने की राह कठिन लग रही है.

जिन मानकों पर बेहतर अंक मिल सकते हैं, उनमें अबतक अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है. ऐसे में जब सर्वेक्षण करने वाली केंद्र की टीम जांच के लिए पहुंचेगी तो रैकिंग मानकों के संबंध में दस्तावेज और भौतिक सत्यापन कराने में नगर निगम को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण का थीम थ्री आर (रिड्यूज, रियूज और रिसाइकल) है. कुल 9500 अंक में सबसे ज्यादा 60 फीसदी अंक लेबल प्रोग्राम (निगम की सर्विस) पर है.

इसके अलावा सर्टिफिकेशन पर 2470 (26) और जन आंदोलन के लिए 1330 (14) अंक निर्धारित है. वहीं, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर 40, सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा को किए गए कार्य, सैनिटेशन, इस्तेमाल हुए पानी का फिर से इस्तेमाल पर 22, शहर में बेहतर सफाई पर 17, कूड़ा को अलग करने, उसे एकत्र करने व डंपिंग प्वाइंट तक पहुंचाने के लिए 13 व कूड़े के ढेर के निस्तारण पर 4 अंक मिलेंगे.

Muzaffarpur Nagar Nigam की स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैकिंग लाने की राह कठिन

गीला व सूखा कचरा अलग करना : इस मामले में नगर निगम की स्थिति ठीक नहीं है. गीला और सूखा कचरा एक ही ट्रॉली में उठाया जाता है. रौतनिया में कूड़े का पहाड़ बन गया पर निस्तारण की व्यवस्था नहीं हुई.

सिटीजन फीडबैक : अभी तक इसमें स्वच्छता सर्वेक्षण में ज्यादा अंक मिलते रहे हैं. आगे कैसी स्थिति रहती है यह सर्वेक्षण पूरा होने पर ही पता चल सकेगा.

सफाई मित्र की सुरक्षा : इस मानक का भी कहीं भी पालन होता नहीं दिखता है. सफाईकर्मी बिना सुरक्षा किट के नाले में उतर कर सफाई करते हैं. इससे अक्सर चोटिल होते हैं.

कचरे का एकत्रीकरण : इसमें नगर निगम की स्थिति ठीक है. शहर से कूड़े का उठाव होता है, लेकिन शहर को स्वच्छ दिखाने के मानक में नगर निगम पिछड़ता दिखता है.

कचरे की प्रोसेसिंग : गीले कूड़े से खाद बनाने की पिट फिलहाल बंद है. गीले कचरे से खाद का उत्पादन नहीं किया जा रहा है, जबकि दो जगहों पर प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित है.

प्रोसेसिंग के बाद इस्तेमाल : कचरे की प्रोसेसिंग के बाद उसका इस्तेमाल भी करना है. इसे लेकर लोगों को प्रेरित भी करना है. इस दिशा में निगम की पहल न के बराबर है.

कचरे के ढेर का उपचार : रौतनिया में कचरे के पहाड़ की ऊंचाई बढ़ती जा रही है. एक बार यहां रिमेडिएशन की प्रक्रिया शुरू हुई पर ग्रामीणों के विरोध के बाद ठप है.Muzaffarpur: नौकरी का झांसा देकर कंपनी ने 200 महिलाओं के साथ किया यौन शोषण

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments