रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में धनबाद के जज उत्तम आनंद की हत्याकांड की जांच को लेकर सुनवाई हुई। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने प्रगति रिपोर्ट पेश की।
रिपोर्ट में नहीं मिला कुछ भी संदिग्ध
इसमें कहा गया कि सीबीआई को अपराधियों की वाट्सएप चैट की रिपोर्ट अमेरिका से मंगानी थी। रिपोर्ट आ गई है, लेकिन इसमें कुछ भी संदिग्ध नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि जब रिपोर्ट आ गई है और उसमें कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला तथा निचली अदालत से अभियुक्तों को सजा भी सुना दी गई है, तो अब इस मामले की सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है।
सीबीआई ने रिपोर्ट पेश करने के लिए मांगा वक्त
अदालत ने सीबीआई से रिपोर्ट मांगी तो सीबीआई की ओर से कहा गया कि रिपोर्ट दिल्ली कार्यालय को मिली है। वहां से रिपोर्ट मंगाने में समय लगेगा। रिपोर्ट पेश करने के लिए सीबीआई ने दो सप्ताह का समय देने का आग्रह किया। लेकिन अदालत ने दो सप्ताह का समय देने से इन्कार कर दिया और बुधवार को ही रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
पूर्व की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि इस मामले में वह इंटरपोल की मदद ले रहा है। इसकी अनुमति भी केंद्र सरकार से मिल गई है। कुछ वाट्सएप चैट डिलीट कर दिए गए हैं। इसके लिए वाट्सएप अमेरिका से मदद मांगी गई है और उसने सभी चैट उपलब्ध कराने का भरोसा दिया था। चैट की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है।
2021 में हुई थी जज उत्तम आनंद की मौत
बता दें कि धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत 28 जुलाई, 2021 को हो गई थी। जज उत्तम आनंद जब मार्निंग वाॅक कर रहे थे, उसी समय एक ऑटो ने टक्कर मार दी थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई।
सरकार ने इसकी सीबीआई जांच का आदेश दिया था। सीबीआई ने जांच के बाद दो आरोपित राहुल वर्मा और लखन वर्मा के खिलाफ हत्या के मामले का आरोप पत्र दाखिल किया। निचली अदालत ने दोनों को हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन की सजा सुनाई है।
लैब तकनीशियनों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी
इसी मामले की सुनवाई के दौरान जेपीएससी और जेएसएससी की ओर से अदालत को बताया गया विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में रिक्त पदों और लैब तकनीशियनों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। हाई कोर्ट के निर्देश के आलोक में नियुक्ति की गई है। इसलिए इस मामले को अब निष्पादित कर देना चाहिए।
जज उत्तम आनंद की हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान सामने आई थी कि एफएसएल में कई पद रिक्त हैं। इस कारण लैब पूरी तरह से संचालित नहीं हो रहा है। इस पर अदालत ने जेपीएससी और जेएसएससी को रिक्त पदों पर नियुक्ति करने का निर्देश दिया था।
