Monday, October 27, 2025
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Jharkhand : निलंबन आदेश रद्द होने पर ‘नो वर्क नो पे’ नियम लागू नहीं, झारखंड हाई कोर्ट का फैसला

किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी का आदेश हाईकोर्ट रद्द कर देता है तो बर्खास्तगी की अवधि का वेतन ‘नो वर्क नो पे’ के आधार पर रोका नहीं जा सकता है। ‘नो वर्क नो पे’ का सिद्धांत काम नहीं करने वाले पर लागू होता जरूर है, लेकिन इसे हर मामले के साथ जोड़ा नहीं जा सकता। झारखंड हाईकोर्ट ने एक फैसले में यह बात कही।

इसके साथ ही जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने प्रार्थियों को 19 साल का रोका गया वेतन और अन्य भत्ते का भुगतान करने का आदेश दिया है।

इस संबंध में भवेशकांत झा ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा था कि प्रार्थी को उद्योग विभाग के पायलट प्रोजेक्ट सेंटर में वर्ष 1984 से क्लर्क सह कैशियर पद पर नियुक्त किया गया था। प्रार्थी की सेवा संपुष्ट की गयी और कालबद्ध प्रोन्नति भी दी गई। वर्ष 1988 में उद्योग निदेशक ने प्रार्थी को वेतन भुगतान नहीं करने का आदेश जारी किया गया। इसके बाद उसे कारण बताओ नोटिस देते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गयी। इसके बाद विभाग ने 12 दिसंबर 2007 को प्रार्थी को बर्खास्त कर दिया। इसके बाद प्रार्थी ने अपनी बर्खास्तगी को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

सुनवाई के बाद अदालत ने बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया और मामले को सक्षम पदाधिकारी के पास भेज दिया। उद्योग निदेशक ने 24 मार्च 2017 को प्रार्थी की सेवा बहाल तो की लेकिन 1.4.1998 से 12.4.2017 तक का वेतन भुगतान नहीं किया। निदेशक का कहना था कि इस अवधि में प्रार्थी ने काम नहीं किया है इस कारण नो वर्क नो पे का नियम लागू होता है, इस कारण उक्त अविध का वेतन प्रार्थी को नहीं दिया जा सकता।

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