गढ़वा जिले के रोहिनयां गांव में कर्ज नहीं चुकाने पर नाबालिग बेटे को घर से उठाकर ले जाने का मामला प्रकाश में आया है। यह आरोप नाबालिग की मां ने माइक्रो फाइनांस कंपनी पर लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी है। बताया जाता है कि उक्त बच्चे को कंपनी के कर्मियों ने 14 दिनों तक कब्जे में रखा। बाद में मामला प्रकाश में आने पर एसडीपीओ सत्येंद्र सिंह और स्थानीय लोगों की पहल पर बच्चे को मुक्त कराया गया। इस मामले में नाबालिग की मां के आवेदन पर केस दर्ज करते हुए पुलिस ने माइक्रो फाइनांस कंपनी के शाखा प्रबंधक निगम यादव को शुक्रवार को हिरासत में ले लिया है।
पुलिस ने बताया कि रोहिनयां गांव निवासी संतोष राम की पत्नी ने शुक्रवार को थाने में लिखित आवेदन दिया। इसके आधार पर दो नामजद और एक अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। कंपनी के कर्मचारी उमाशंकर तिवारी की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। नाबालिग की मां ने बताया कि दो वर्ष पूर्व वह माइक्रो फाइनेंस कंपनी से 40 हजार रुपए लोन लिया था। बाद में 32 हजार जमा कर दी। सूद सहित 18 हजार रुपए बकाया थे।
14 दिन पहले घर पर उसे कंपनी के शाखा प्रबंधक आए। वह तब घर पर नहीं थी। उसकी गैर मौजूदगी में उसके नाबालिग बेटे को उठाकर श्रीबंशीधर नगर के हेन्हो मोड़ स्थित ब्रांच ले गए। बाद में उसे कहीं भी शिकायत नहीं करने की हिदायत दी। धमकी दी गई कि कहीं कहने पर उसके बेटे की किडनी और आंख निकाल कर बेच देंगे। इसी भय से वह चुप रही। शुक्रवार को परेशान होकर लोगों को जानकारी दी। इसके बाद बेटे को मुक्त कराया गया।
गढ़वा के एसडीपीओ सत्येंद्र सिंह ने कहा, ‘मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने मैनेजर को हिरासत में ले लिया है। पूछताछ की जा रही है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।’
आंख और किडनी बेचने की देते थे धमकी
बच्चे को कंपनी के कर्मियों ने 14 दिनों तक कब्जे में रखा। भुक्तभोगी नाबालिग ने बताया कि आरोपी उससे शराब पीने के बाद बोतल भी फेंकवाते थे। इतना ही नहीं धमकी देते थे कि पैसा नहीं जमा करवाओगे तो किडनी और आंख निकाल कर बेच देंगे। उसने पुलिस को बताया कि घटना के दिन घर पर उसके साथ उसकी बड़ी दीदी थी। इसी दौरान बैंक से कुछ साहेब मां को खोजने आए थे। मां घर पर नहीं मिली तो उसे मां को खोजने के बहाने गाड़ी पर बैठाकर नगर ऊंटारी ले गए। वहां पर उसे रोक कर रखा गया। उसने बताया कि उसके साथ बैंक कर्मचारी उमाशंकर तिवारी मारपीट करता था। गला भी दबाने का प्रयास किया जाता था। उससे घर के काम करवाए जाते थे।
