Sunday, October 26, 2025
Homeआज तक का खबरJharkhand Crime : रेलवे में फर्जी नौकरी फिर सैलरी भी देने लगे,...

Jharkhand Crime : रेलवे में फर्जी नौकरी फिर सैलरी भी देने लगे, जालसाजों की गैंग का ऐसे खुलासा

सरकारी नौकरी की चाहत में कुछ लोग जालसाजों के चक्कर में फंस जाते हैं। उन्हें लाखों रुपए गंवाने पड़ते हैं। लेकिन झारखंड से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक ऐसे गैंग का खुलासा हुआ है जो लोगों को रेलवे में फर्जी नौकरी देकर सैलरी भी देते थे। दक्षिण पूर्व रेलवे जोन की विजिलेंस टीम ने चक्रधरपुर मंडल में नौकरी दिलाने वाले ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है। मंगलवार को गम्हरिया के पास बीरबांस हॉल्ट में बुकिंग क्लर्क बनकर कई सप्ताह से काम करने वाले तीन युवकों को दबोच लिया गया। युवकों को ट्रेनिंग देकर बुकिंग क्लर्क बनाने का झांसा देने वाले टिकट एजेंट डेविड सिंह को भी टीम ने पकड़ा है, जबकि मुख्य आरोपी अंशुमन फरार है।

बुकिंग क्लर्क वाली फर्जी नौकरी
फर्जी बुकिंग क्लर्क बनकर नौकरी कर रहे युवकों को पकड़ लिया गया है। विजिलेंस टीम की छापेमारी व रेलवे में फर्जी नौकरी का खुलासा होने से अफरातफरी मच गई। मंडल अधिकारी बीरबांस हॉल्ट पहुंचे व जानकारी ली। पूछताछ के कारण विजिलेंस टीम ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया और जोन मुख्यालय को गिरोह की जानकारी दी है। गिरफ्तार युवकों और टिकट एजेंट से विजिलेंस टीम पूछताछ कर रही है।

तीनों युवकों ने नौकरी के लिए दिए थे 21 लाख रुपए
पूछताछ में सामने आया है कि टिकट एजेंट डेविड सिंह को तमिलनाडु के धीविन कुमार ने पांच लाख, पश्चिम बंगाल के नदिया के दो युवक रूपम शाह व शुभाशीष मंडल ने आठ-आठ लाख नौकरी के बदले दिए थे। फर्जी आईडी बना काम कराया जा रहा था। युवकों ने बताया कि डेविड सिंह, अंशुमन नामक व्यक्ति के कहने पर युवकों को ट्रेनिंग देकर बुकिंग क्लर्क का काम करा रहा था।

सैलरी भी देने लगे
युवकों ने बताया कि उन्हें 30 हजार प्रति माह वेतन का आश्वासन दिया था, जबकि ट्रेनिंग में 10 हजार रुपये दो महीने दिया था। इधर, चक्रधरपुर मंडल के वाणिज्य अधिकारी ने विजिलेंस छापेमारी की पुष्टि करते हुए अन्य किसी जानकारी से इनकार किया है। डेविड आदित्यपुर भाटिया बस्ती में रहता था।

जीआरपी में दर्ज होगा केस
आरपीएफ के सीनियर कमांडेंट पी. शंकर कुट्टी ने बताया कि मामला धोखाधड़ी का है। विजिलेंस की पूछताछ और कार्रवाई के बाद जीआरपी में केस दर्ज कराया जाएगा। अभी विजिलेंस टीम मामले में कुछ भी स्पष्ट नहीं कर रही है, लेकिन रेलवे भी अपने स्तर से जांच करा रहा है।

टाटानगर आरपीएफ ने भी पकड़ा था गिरोह
वर्ष 2014 में टाटानगर आरपीएफ के तत्कालीन इंस्पेक्टर दिगंजय शर्मा ने जुगसलाई के एक होटल में छापेमारी कर रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को पकड़ा था। जमशेदपुर पुलिस भी ऐसे गिरोह का खुलासा कर चुकी है। चर्चा है कि बीरबांस हॉल्ट में फर्जी नियुक्ति की सूचना विजिलेंस टीम को रेल कर्मियों से मिली थी। टीम ने कई दिन निगरानी के बाद युवकों और टिकट एजेंट को पकड़ा। 2018 में भी आदित्यपुर की महिला भी टाटानगर में ज्वाइनिंग का फर्जी लेटर लेकर पहुंची थी। इसके अलावा गोविंदपुर से भी फर्जी लेटर पर नियुक्त एक युवक को गैंगमैन की सूचना पर पकड़े जाने की चर्चा रेलकर्मियों में हो रही है। रेलवे में नौकरी के नाम पर बेरोजगार फंस जाते हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments