राजकुमार भगत
पाकुड़ : 29 मार्च ईसाई धर्म से जुड़ा प्रमुख दिन है। इस दिन प्रभु यीशु के बलिदान को याद किया जाता है। इस दिन दुनिया में जहां भी ईसाई समाज के लोग रहते हैं। अपने आसपास के गिरजाघर में प्रार्थना सभा का आयोजन करते हैं। पाकुड़ जिले के भी सभी गिरजा घरों में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।इसे शोक दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को ग्रेट फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या होली फ्राइडे भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व यरूसलम के गैलिली प्राप्त में ईसा मसीह नाम के एक संत हुआ करते थे। किंतु कुछ लोग उनसे बहुत ही चिढ़ते थे। मानव जाति की रक्षा के लिए प्रभु यीशु अपना सर्वस्व बलिदान दिया । यीशु को यहूदी शासकों ने शारीरिक और मानसिक रूप से कई यातनाएं दी । उन्हें सूली पर चढ़ाया गया । उन पर कील ठोकवाया गया । जिस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था वो दिन शुक्रवार था। इसलिए यह दिन गुड फ्राईडे के रूप में मनाया जाता है। इसी वजह से ईसाई धर्म के लोग गुड फ्राइडे के दिन प्रभु यीशु के बलिदान को याद करते हैं। यह दिन ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद ही खास होता है। इस दौरान ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में जाकर प्रार्थना करते हैं। साथ ही प्रभु यीशु की याद में उपवास भी रखा जाता है। इस उपवास को करने के बाद मीठी रोटी बनाकर खाई जाती है। गुड फ्राइडे ना केवल भारत ही बल्कि दुनियाभर में मौजूद सभी ईसाई धर्म के लोग मनाते हैं।
प्रभु ईसा मसीह प्रेम और शांति के मसीहा थे। दुनिया को प्रेम और करुणा का संदेश देने वाले प्रभु यीशु को उस समय के धार्मिक कट्टरपंथी ने रोम के शासक से शिकायत करके उन्हें सूली पर लटका दिया था। इसी कारण ईसाई धर्म को मानने वाले लोग गुड फ्राइडे को काले दिवस के रूप में मनाते हैं। हालांकि ये भी कहा जाता है कि प्रभु यीशु इस घटना के तीन दिन बाद यानी ईस्टर संडे के दिन पुनः जीवित हो उठे थे।
