राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु बीते 28 फरवरी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड के तीसरे दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि थीं। उनके कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर 22 फरवरी को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इसमें सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले में दक्षिणी छोटानागपुर के तत्कालीन आयुक्त दशरथ चंद्र दास और रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने मुख्य सचिव (सीएस) को गलत जानकारी दी।
इन्होंने मुख्य सचिव के समक्ष बताया था कि भूमि अधिग्रहण से संबंधित अभिलेख भूमि सुधार विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है। जबकि, अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया गया था। इसे लेकर भू राजस्व विभाग के सचिव मनीष रंजन ने दोनों अधिकारियों से स्पष्टीकरण पूछा है। आयुक्त और उपायुक्त को भेजे पत्र में कहा है कि 22 फरवरी की बैठक में मुख्य सचिव के समक्ष आपने बताया कि अभिलेख विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है।
फोन पर भी बातचीत में आपने बताया कि अभिलेख आज उपलब्ध करा दिया जाएगा। पर 22 फरवरी की शाम 530 बजे तक विभाग को अभिलेख नहीं मिला।
उपरोक्त संबंध में स्थिति स्पष्ट करें कि किस परिस्थिति में आपने मुख्य सचिव के सामने भ्रामक सूचना उपलब्ध करायी।
जिला भू अर्जन पदाधिकारी से भी कारण पूछा
विभागीय सचिव के बाद अपर समाहर्ता रांची ने भी जिला भू अर्जन पदाधिकारी, रांची से कारण पृच्छा की है। अपर समाहर्ता ने कहा है कि विवि के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले का प्रस्ताव अभिलेख भू राजस्व विभाग को ससमय उपलब्घ नहीं होने की स्थिति में विभागीय सचिव द्वारा कारण पूछा गया है। सचिव का पत्र संलग्न कर उन्होंने पूछा है कि किस परिस्थिति में प्रस्ताव अभिलेख विभाग को समय पर उपलब्ध नहीं कराया गया। उन्होंने प्रस्ताव अभिलेख अविलंब उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
जमीन देने वाले किसानों को नहीं मिला मुआवजा
सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड के लिए सरकार ने 15.82 एकड़ रैयती जमीन का अधिग्रहण किया है। लेकिन जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, उन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। इसमें चेरी मौजा की अधिग्रहित भूमि का पैसा विभाग से जिला को उपलब्ध करा दिया गया है, उसका अवॉर्ड भी बन चुका है। लेकिन मनातू मौजा की अधिग्रहित भूमि का पैसा ही अभी विभाग से प्राप्त नहीं हुआ है। क्योंकि मआवजा की राशि 50 करोड़ से अधिक है, इसलिए इसकी स्वीकृति विभाग से लेनी पड़ती है। इस बाबत जिला से विभाग को पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव में त्रुटि होने के कारण संशोधित प्रस्ताव भेजना था, लेकिन वह प्रस्ताव अभी तक विभाग को उपलब्ध ही नहीं कराया गया है।
