चतरा : यदि मन में किसी लक्ष्य को पाने की ठान ली जाए तो बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रमेश घोलप ने। बचपन में कभी मां के साथ सड़कों पर चूड़ी बेचने वाले रमेश आज आईएएस अफसर हैं। कठिन परिस्थितियों में इस मुकाम को हासिल करने वाले रमेश की कहानी बेहद संघर्ष पूर्ण रही है।
जानिए कैसा रहा उनका सफर।
आईएएस घोलप रमेश गोरख मूलतः महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में स्थित महागांव के रहने वाले हैं। फिलहाल वे संयुक्त सचिव वित्त विभाग झारखंड रांची के पद पर पदस्थापित थें। गरीबी से संघर्ष कर आईएएस बने रमेश घोलप ने पिछले साल बतौर एसडीओ बेरमो में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन्होंने अभाव के बीच ना सिर्फ आईएएस बनने का सपना देखा, बल्कि इसे अपनी मेहनत से सच भी कर दिखाया। काम किया, रुपए जुटाए और फिर पढ़ा। कलेक्टर बनने का सपना आंखों में संजोए रमेश पुणे पहुंचे। और पहले प्रयास में विफल रहे, पर वे फिर भी डटे रहें। साल 2011 में पुन: यूपीएससी की परीक्षा दी। इसमें रमेश 287वां स्थान प्राप्त कर आईएसएस बन चुके थें।
आपको बताते चलें कि राज्य सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के आठ अधिकारियों का स्थानांतरण पदस्थापन किया है। चतरा उपायुक्त के पद पर स्थापित अबु इमरान को स्थानांतरित करते हुए प्रबंध निदेशक या झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची का पद पर नियुक्त किया गया है। अबु इमरान को अगले आदेश तक अपने कार्यों के साथ कार्यपालक निदेशक झारखंड राज्य आरोग्य समिति रांची के अतिरिक्त प्रभार में भी रहेंगे। घोलप रमेश गोरख संयुक्त सचिव वित्त विभाग झारखंड रांची के पद पर थें। इनका चतरा जिला में तबादला होने के बाद वे यहां झारखंड राज्य गठन होने के बाद से 28 वां उपायुक्त के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे।
