Friday, December 12, 2025
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कंडेंसर कैसे बढ़ा देता है पंखे की स्पीड? इस तरह मिलती है ठंडी-ठंडी, कूल-कूल हवा

कंडेंसर कैसे बढ़ा देता है पंखे की स्पीड? इस तरह मिलती है ठंडी-ठंडी, कूल-कूल हवा
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खे, खासकर गर्मी के मौसम में हमारे लिए बहुत जरूरी बन जाते हैं. बेतहाशा गर्मी में पंखे ठंडी-ठंडी, कूल-कूल हवा देकर गर्मी से राहत दिलाते हैं. मगर क्या आपने कभी सोचा है कि ये पंखे किस तकनीकी ताकत के साथ काम करते हैं जो हमें ठंडी हवा देते हैं?

एक खास टेक्नोलॉजी जो इसमें अहम भूमिका निभाती है वो कंडेंसर यानी कैपेसिटर है. कंडेंसर की मदद से पंखे की स्पीड भी बढ़ जाती है. आइए जानते हैं कि ये सब कैसे होता है.

पंखे, खासकर गर्मी के मौसम में हमारे लिए बहुत जरूरी बन जाते हैं. बेतहाशा गर्मी में पंखे ठंडी-ठंडी, कूल-कूल हवा देकर गर्मी से राहत दिलाते हैं. मगर क्या आपने कभी सोचा है कि ये पंखे किस तकनीकी ताकत के साथ काम करते हैं जो हमें ठंडी हवा देते हैं? एक खास टेक्नोलॉजी जो इसमें अहम भूमिका निभाती है वो कंडेंसर यानी कैपेसिटर है. कंडेंसर की मदद से पंखे की स्पीड भी बढ़ जाती है. आइए जानते हैं कि ये सब कैसे होता है.

कंडेंसर क्या होता है?

कंडेंसर एक डिवाइस है जो इलेक्ट्रिकल एनर्जी को स्टोर करने का काम करता है. इसमें दो इंसुलेटेड कंडक्टर होते हैं जो एक दूसरे के पास ही होते हैं. इलेक्ट्रिक फैन के सर्किट में एक स्विच, एक बिगनिंग वाइंडिंग, एक रनिंग वाइंडिंग और स्टेटर शामिल रहते हैं. एक कंडेंसर स्टार्टिंग वाइंडिंग और रोटोर के साथ जुड़ा रहता है.

अब एक सवाल उठता है कि पंखे में कंडेंसर का क्या काम है? एक मोटर जो कंडेंसर को चलाती है, इसे एक इलेक्ट्रिक कंडेंसर बना देती है जो सिंगल-फेज AC इंडक्शन मोटर के कई वाइंडिंग में करंट को बदल देता है. इससे बदले में एक मैग्नेटिक टॉर्क बनता है.

पंखे में कंडेंसर क्यों होना चाहिए?

दिक्कत यह कि पंखे की मोटर अपने आप चालू नहीं होती. इसे स्टार्ट करने के लिए अलग के पावर की जरूरत होती है. अगर आप सीधे बिजली से पंखे को चलाएंगे तो ये नहीं चलेगा. इस समस्या को दूर करने के लिए कंडेंसर का इस्तेमाल किया जाता है. पंखे की मोटर में वाइंडिंग के एक हिस्से में एक कंडेंसर जुड़ा होता है जो करंट को अलग-अलग फेज में बांटता है. यह वाइंडिंग के बीच फेज का अंतर पैदा करता है.

इलेक्ट्रिकल एक्सपर्ट मौ. कासिम ने बताया कि अगर हम बिना कंडेंसर के पंखे को चालू करेंगे तो यह नहीं चलेगा. आपने देखा होगा कि अक्सर जब पंखा नहीं चलता है तो लोग हाथ से या डंडे के सहारे पंखा चलाने की कोशिश करते हैं. यह शुरुआती धक्का होता है, जो पंखे को चालू करने करने के काम आता है.

कंडेंसर पंखे में यही फोर्स पैदा करता है जिससे पंखे को घूमने की ताकत मिलती है. वाइंडिंग में फेज का अंतर पैदा होने के बाद मैग्नेटिक फील्ड (टॉर्क) पैदा होती है, जो रोटोर को मैग्नेटिक फील्ड की तरफ घुमाती है. कंडेंसर आमतौर पर एक सेंट्रीफ्यूगल स्विच के जरिए जुड़ा होता है जो पंखे की ताकत को बढ़ाता है.

कंडेंसर से बढ़ती है पंखे की स्पीड

अगर पंखे में कंडेंसर नहीं है तो मैग्नेटिक फ्लक्स हरेक करंट साइकिल में चला जाएगा. इससे पंखे में मैग्नेटिक फील्ड नहीं बनेगी और पंखा नहीं घूमेगा. यही कारण है कि हम सीलिंग फैन कंडेंसर (कैपेसिटर) का इस्तेमाल करते हैं.  Dhanbad News : इलेक्ट्रिक पैनल में शॉट सर्किट के बाद गोदाम तक फैली आग

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