क्या कार मॉडिफिकेशन सही है? ऐसा करने पर आप बीमा से हाथ धो सकते हैं
भारत में कार मॉडिफिकेशन तेजी से पॉपुलर हो रहा है. राइडर्स अब गाड़ियों में पर्सनल टच की तलाश कर रहे हैं. हालांकि क्या आपको पता है कि कारों में भारी मॉडिफिकेशन अवैध है और यह आपकी बीमा पॉलिसियों को भी रद्द कर सकता है? आम तौर पर कार इंश्योरेंस दो तरह के होते हैं. पहला, कंप्रेहेंसिव बीमा पॉलिसी और दूसरा, थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस. कंप्रेहेंसिव बीमा पॉलिसी आपके अधिकतर नुकसान को कवर करते हैं. आइये जानते हैं कार मॉडिफिकेशन से आपको क्या हो सकता है नुकसान?
एक्सटर्नल अपडेट
फ्रेश पेंट जॉब (वही RC पर लिखें हैं) या डिकल्स जैसे छोटे-मोटे बदलाव से कोई समस्या नहीं होगी. लेकिन अगर आप बॉडी फ्रेमवर्क जैसे फ्लेयर्ड फेंडर, कस्टम हुड और टायर आदि में कोई बदलाव करते हैं तो इससे आपके इंश्योरेंस पर असर पड़ सकता है. ऐसा हो सकता है कि इस मामले में किसी दुर्घटना के समय किए गए इंश्योरेंस क्लेम को नकार दे.
परफॉरमेंस मॉडिफिकेशन
टर्बोचार्जर या नाइट्रस ऑक्साइड सिस्टम का यूज करके इंजन के प्रदर्शन को बढ़ाना आजकल आम हो गया है. हालांकि ये मॉडिफिकेशन एक चिंता का विषय है. इन बदलावों से व्हीकल पावर और स्पीड बढ़ जाता है, जिससे एक्सीडेंट होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. इसी तरह, कार की ऊंचाई को कम या बढ़ाने के लिए सस्पेंशन सिस्टम में किए गए बदलाव भी अवैध हैं. क्योकि इनका असर हैंडलिंग और ग्राउंड क्लीयरेंस पर पड़ता है.
मॉडिफिकेशन के वक्त क्या करना चाहिए?
जब आप बीमा करवाते हैं, तो वे आपकी कार का डिटेल्स नोट करेंगे और पॉलिसी कॉस्ट का कैलकुलेशन करेंगे. अगर आप कार को मॉडिफाई करते हैं तो इससे इंश्योरेंस कॉस्ट बढ़ जाता है. ऐसे में अगर आप मॉडिफिकेशन करते हैं तो आपको इंश्योरेंस कंपनियों को जरूर बताना चाहिए. अगर आप उन्हें बताते नहीं है और गाड़ी का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस क्लेम करते हैं तो आपको मुश्किलें हो सकती हैं. Jharkhand Weather Forecast : बीमार कर रहा है मौसम, दिन में गरमी और रात में कनकनी
